रूह में रेंगती रहती है गुनह की ख़्वाहिश By Sher << तुझे मा'लूम है इन फेफ... जिन की ता'मीर इश्क़ क... >> रूह में रेंगती रहती है गुनह की ख़्वाहिश इस अमरबेल को इक दिन कोई दीवार मिले Share on: