रुख़ हाथ पे रक्खा न करो वक़्त-ए-तकल्लुम By Sher << ये ज़मीं तो है किसी काग़ज... ज़बान अपनी बदलने पे कोई र... >> रुख़ हाथ पे रक्खा न करो वक़्त-ए-तकल्लुम हर बात में क़ुरआन उठाया नहीं जाता Share on: