रुश्द-ए-बातिन की तलब है तो कर ऐ शैख़ वो काम By Sher << कौन कहता है मोहब्बत की ज़... तिरी बदन में मेरे ख़्वाब ... >> रुश्द-ए-बातिन की तलब है तो कर ऐ शैख़ वो काम पीर-ए-मय-ख़ाना जो ज़ाहिर में कुछ इरशाद करे Share on: