सब को क़ुदरत थी ख़ुश-कलामी पर By Sher << लोग समझे अपनी सच्चाई की ख... ख़ून-ए-जिगर आँखों से बहाय... >> सब को क़ुदरत थी ख़ुश-कलामी पर ख़ामुशी में ज़बाँ-दराज़ था मैं Share on: