सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से By Sher << क्या क्या न तिरे शौक़ में... हमारे नाम लिखी जा चुकी थी... >> सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से ज़िंदगी भर दिल मुझे मैं दिल को समझाता रहा Share on: