सच्चाई की ख़ुशबू की रमक़ तक न थी उन में By Sher << अस्ल वहदत की बिना है अदम-... शाम ढलते ही दिल के आँगन स... >> सच्चाई की ख़ुशबू की रमक़ तक न थी उन में वो लोग जो बाज़ार-ए-हुनर खोले हुए थे Share on: