शाम ढलते ही दिल के आँगन से By Sher << सच्चाई की ख़ुशबू की रमक़ ... ज़िंदगी टूट के बिखरी है स... >> शाम ढलते ही दिल के आँगन से दर्द का कारवाँ गुज़रता है Share on: