सहरा को बहुत नाज़ है वीरानी पे अपनी By Sher << पेड़ों की तरह हुस्न की बा... तीरा-बख़्ती की बला से यूँ... >> सहरा को बहुत नाज़ है वीरानी पे अपनी वाक़िफ़ नहीं शायद मिरे उजड़े हुए घर से Share on: