तीरा-बख़्ती की बला से यूँ निकलना चाहिए By Sher << सहरा को बहुत नाज़ है वीरा... मैं ने जो लिख दिया वो ख़ु... >> तीरा-बख़्ती की बला से यूँ निकलना चाहिए जिस तरह सुलझा के ज़ुल्फ़ों को अलग शाना हुआ Share on: