तुम्हारे ब'अद ख़ुदा जाने क्या हुआ दिल को By Sher << कभी किसी को मुकम्मल जहाँ ... हम ने तो बाज़ार में दुनिय... >> तुम्हारे ब'अद ख़ुदा जाने क्या हुआ दिल को किसी से रब्त बढ़ाने का हौसला न हुआ Share on: