ज़िंदगी किस तरह कटेगी 'सैफ़' By Sher << किस से पूछूँ कि कहाँ गुम ... इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लो... >> ज़िंदगी किस तरह कटेगी 'सैफ़' रात कटती नज़र नहीं आती Share on: