सैलाब से आँखों के रहते हैं ख़राबे में By Sher << वो और होंगे पी के जो सरशा... ये सच है हम को भी खोने पड... >> सैलाब से आँखों के रहते हैं ख़राबे में टुकड़े जो मिरे दिल के बस्ते हैं दो-आबे में Share on: