साक़ी ज़रा निगाह मिला कर तो देखना By साक़ी, निगाह, Sher << शायद कोई बंदा-ए-ख़ुदा आए मुद्दत में शाम-ए-वस्ल हुई... >> साक़ी ज़रा निगाह मिला कर तो देखना कम्बख़्त होश में तो नहीं आ गया हूँ मैं Share on: