साक़ी मैं देखता हूँ ज़मीं आसमाँ का फ़र्क़ By Sher << है ख़ुशी अपनी वही जो कुछ ... मज़ा तो जब है उदासी की शा... >> साक़ी मैं देखता हूँ ज़मीं आसमाँ का फ़र्क़ अर्श-ए-बरीं में और तिरे आस्ताने में Share on: