साकिन-ए-मस्जिद कभी गह मोतकिफ़ है दैर का By Sher << शौक़-ए-शराब ख़्वाहिश-ए-जा... सैकड़ों मन से भी ज़ंजीर म... >> साकिन-ए-मस्जिद कभी गह मोतकिफ़ है दैर का मिल्लत-ओ-दीन-ए-'नसीम'-ए-देहलवी रिंदाना है Share on: