आज तो शम्अ हवाओं से ये कहती है 'सलाम' By Sher << आप की सादा-दिली से तंग आ ... चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं ... >> आज तो शम्अ हवाओं से ये कहती है 'सलाम' रात भारी है मैं बीमार को कैसे छोड़ूँ Share on: