समुंदर पार आ बैठे मगर क्या By Sher << फिर इक नए सफ़र पे चला हूँ... बस इस क़दर है ख़ुलासा मिर... >> समुंदर पार आ बैठे मगर क्या नए मुल्कों में बन जाते हैं घर क्या Share on: