संगत दिलों की जीवनों मरणों का इर्तिबात By Sher << साँस में साजना हवा की तरह क़ाएम है आबरू तो ग़नीमत य... >> संगत दिलों की जीवनों मरणों का इर्तिबात फिर डर पड़ा था क्या तुझे गिर्द-ओ-नवाह का Share on: