सर-ए-ख़ार से सर-ए-संग से जो है मेरा जिस्म लहू लहू By Sher << हवा को ज़िद कि उड़ाएगी धू... आज न जाने राज़ ये क्या है >> सर-ए-ख़ार से सर-ए-संग से जो है मेरा जिस्म लहू लहू कभी तू भी तो मिरे संग-ए-मील कभी रंग मेरे सफ़र के देख Share on: