साअतें जो तिरी क़ुर्बत में गिराँ गुज़री थीं By Sher << शब-भर का तिरा जागना अच्छा... रुक जा हुजूम-ए-गुल कि अभी... >> साअतें जो तिरी क़ुर्बत में गिराँ गुज़री थीं दूर से देखूँ तो अब वो भी भली लगती हैं Share on: