साए लरज़ते रहते हैं शहरों की गलियों में By Sher << ख़मोशी बस ख़मोशी थी इजाज़... ये कहना था उन से मोहब्बत ... >> साए लरज़ते रहते हैं शहरों की गलियों में रहते थे इंसान जहाँ अब दहशत रहती है Share on: