सय्याद के जिगर में करे था सिनाँ का काम By Sher << तिरी चाहत के भीगे जंगलों ... घर हमेशा तिरे आईने का आबा... >> सय्याद के जिगर में करे था सिनाँ का काम मुर्ग़-ए-क़फ़स के सर पे ये एहसान-ए-नाला था Share on: