सज़ाएँ देखता हूँ और सोचता हूँ मैं By Sher << ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्व... ख़ुदी से प्यार करो और ख़ु... >> सज़ाएँ देखता हूँ और सोचता हूँ मैं जहाँ में इश्क़ से बढ़ कर कोई भी जुर्म नहीं Share on: