ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि जिसे By Sher << मरने के बअ'द कोई पशेम... सज़ाएँ देखता हूँ और सोचता... >> ज़िंदगी ख़्वाब है और ख़्वाब भी ऐसा कि जिसे जागती आँखों से सब के लिए देखा जाए Share on: