शाम आए और घर के लिए दिल मचल उठे By Sher << भुला चुके हैं ज़मीन ओ ज़म... अभी सफ़र में कोई मोड़ ही ... >> शाम आए और घर के लिए दिल मचल उठे शाम आए और दिल के लिए कोई घर न हो Share on: