शाम के साए में जैसे पेड़ का साया मिले By Sher << मिरी तो आँख मिरा ख़्वाब ट... तेरी फ़य्याज़ी के थे चर्च... >> शाम के साए में जैसे पेड़ का साया मिले मेरे मिटने का तमाशा देखने की चीज़ थी Share on: