शब को मिरा जनाज़ा जाएगा यूँ निकल कर By Sher << हो रूह के तईं जिस्म से कि... तमाम उम्र कमी की कभी न पा... >> शब को मिरा जनाज़ा जाएगा यूँ निकल कर रह जाएँगे सहर को दुश्मन भी हाथ मल कर Share on: