शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो By Sher << ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़... नियाज़-ए-बे-ख़ुदी बेहतर न... >> शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता i haven't slept since parting eve, o angels, i request i'll settle your accounts at leisure for now let me rest Share on: