ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म By Sher << शर्मा के बिगड़ के मुस्कुर... शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ... >> ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म मिरे ख़ुदा यही इंसाँ की ज़िंदगानी है Share on: