शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था By Sher << शहर में क़ाफ़िया-पैमाई बह... सख़्ती-ए-राह खींचिए मंज़ि... >> शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था बग़ल में सनम था ख़ुदा मेहरबाँ था Share on: