शहर भर के आईनों पर ख़ाक डाली जाएगी By Sher << अपने ही साए से हर गाम लरज... क्या ख़त्म न होगी कभी सहर... >> शहर भर के आईनों पर ख़ाक डाली जाएगी आज फिर सच्चाई की सूरत छुपा ली जाएगी Share on: