शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू ने By Sher << दिल-ए-तबाह की ईज़ा-परस्ति... भला हुआ कि न हाथ आया जामा... >> शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू ने ब'अद तिरे वो बात तिरे ही अफ़्सानों में गूँजती है Share on: