है आज ये गिला कि अकेला है 'शहरयार' By Sher << कुफ़्र-ओ-ईमाँ से है क्या ... गो अपने हज़ार नाम रख लूँ >> है आज ये गिला कि अकेला है 'शहरयार' तरसोगे कल हुजूम में तन्हाई के लिए Share on: