शैख़ उस की चश्म के गोशे से गोशे हो कहीं By Sher << इन दिनों शहर से जी सख़्त ... मैं ना-मुराद दिल की तसल्ल... >> शैख़ उस की चश्म के गोशे से गोशे हो कहीं उस तरफ़ मत जाओ नादाँ राह मय-ख़ाने की है Share on: