शम्अ के मानिंद अहल-ए-अंजुमन से बे-नियाज़ By Sher << सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़ि... 'शाइर' उन की दोस्... >> शम्अ के मानिंद अहल-ए-अंजुमन से बे-नियाज़ अक्सर अपनी आग में चुप चाप जल जाते हैं लोग Share on: