सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते By Sher << सूरज के उजाले में चराग़ाँ... शम्अ के मानिंद अहल-ए-अंजु... >> सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िंदगी नहीं कहते कुछ ग़म-ए-मोहब्बत हो कुछ ग़म-ए-जहाँ यारो Share on: