शामिल हूँ क़ाफ़िले में मगर सर में धुँद है By Sher << कहीं उस बज़्म तक रसाई हो सुन रहा हूँ अभी तक मैं अप... >> शामिल हूँ क़ाफ़िले में मगर सर में धुँद है शायद है कोई राह जुदा भी मिरे लिए Share on: