शांति की दुकानें खोली हैं By Sher << शागिर्द-ए-रशीद आप सा हूँ ... वस्ल के एक ही झोंके में >> शांति की दुकानें खोली हैं फ़ाख़ताएँ कहाँ की भोली हैं Share on: