शरीक-ए-दर्द नहीं जब कोई तो ऐ 'शौकत' By Sher << 'शौकत' वो आज आप क... रात इक नादार का घर जल गया... >> शरीक-ए-दर्द नहीं जब कोई तो ऐ 'शौकत' ख़ुद अपनी ज़ात की बेचारगी ग़नीमत है Share on: