शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलब By Sher << मस्तों का दिल है शीशा और ... ज़िंदगी किस तरह बसर होगी >> शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलब उस की तरफ़ चल दिए जिस ने पुकारा न था Share on: