मस्तों का दिल है शीशा और संग-दिल है साक़ी By Sher << ये मिस्रा काश नक़्श-ए-हर-... शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़... >> मस्तों का दिल है शीशा और संग-दिल है साक़ी अचरज है जो न टूटे पत्थर से आबगीना Share on: