शायद कि ख़ुदा में और मुझ में By Sher << शिकस्ता-हाल सा बे-आसरा सा... शायद इस राह पे कुछ और भी ... >> शायद कि ख़ुदा में और मुझ में इक जस्त का और फ़ासला है Share on: