शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमी By Sher << गर्दिश-ए-बख़्त से बढ़ती ह... वो हब्स था कि तरसती थी सा... >> शायद कि मर गया मिरे अंदर का आदमी आँखें दिखा रहा है बराबर का आदमी Share on: