वो हब्स था कि तरसती थी साँस लेने को By Sher << शायद कि मर गया मिरे अंदर ... बिजली चमकी तो अब्र रोया >> वो हब्स था कि तरसती थी साँस लेने को सो रूह ताज़ा हुई जिस्म से निकलते ही Share on: