शेर-ओ-सुख़न का शहर नहीं ये शहर-ए-इज़्ज़त-ए-दारां है By Sher << नसीब उस के शराब-ए-बहिश्त ... वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए... >> शेर-ओ-सुख़न का शहर नहीं ये शहर-ए-इज़्ज़त-ए-दारां है तुम तो 'रसा' बद-नाम हुए क्यूँ औरों को बद-नाम करूँ Share on: