शिकवा न बख़्त से है ने आसमाँ से मुझ को By Sher << सुब्ह तक था वहीं ये मुख़्... शामत है क्या कि शैख़ से क... >> शिकवा न बख़्त से है ने आसमाँ से मुझ को पहुँची जो कुछ अज़िय्यत अपने गुमाँ से मुझ को Share on: