शाइरी में अन्फ़ुस-ओ-आफ़ाक़ मुबहम हैं अभी By Sher << तिरे वजूद को छू ले तो फिर... तुम्हारे होते हुए लोग क्य... >> शाइरी में अन्फ़ुस-ओ-आफ़ाक़ मुबहम हैं अभी इस्तिआरा ही हक़ीक़त में ख़ुदा सा ख़्वाब है Share on: