सिलसिला रखता है मेरा कुफ़्र कुछ इस्लाम से By Sher << सूझी है उल्टी दश्त-नवर्दी... सर मिरा काट के पछ्ताइएगा >> सिलसिला रखता है मेरा कुफ़्र कुछ इस्लाम से हैं कई तस्बीह के दाने मिरी ज़ुन्नार में Share on: