सूझी है उल्टी दश्त-नवर्दी में ऐ जुनूँ By Sher << तिरे कूचे की शायद राह भूल... सिलसिला रखता है मेरा कुफ़... >> सूझी है उल्टी दश्त-नवर्दी में ऐ जुनूँ पाँव में आबले की तरह से कुलाह हो Share on: