सिलवटें हैं मिरे चेहरे पे तो हैरत क्यूँ है By Sher << हैं आज क्यूँ ज़लील कि कल ... मिरा रोना हँसी-ठट्ठा नहीं... >> सिलवटें हैं मिरे चेहरे पे तो हैरत क्यूँ है ज़िंदगी ने मुझे कुछ तुम से ज़ियादा पहना Share on: